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झीलों व तालाबों को गोद लेकर उनके संरक्षण के लिए आगे आएं रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन : डॉ. राजेश्वर सिंह

विश्व के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में 63 भारत के, यह समय प्रदूषण के खिलाफ एकजुट होने का : डॉ. राजेश्वर सिंह

सरोजनीनगर विधायक ने जताई पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता, कहा समाधान के लिए साथ आने की जरूरत
आने वाली पीढ़ी को दें रहने लायक धरती – डॉ. राजेश्वर सिंह

सरोजनीनगर-लखनऊ। सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह को देश और समाज के हित से जुड़े ज्वलंत विषयों को मजबूत आंकड़ों के रखने और प्रभावशाली समाधान प्रस्तुत करने के लिए जाना जाता है। मंगलवार को डॉ. सिंह ने पर्यावरणीय प्रदूषण की तरफ सभी का ध्यान आकृष्ट किया। विधायक ने अपने आधिकारिक एक्स (ट्विटर) एकाउंट से आंकड़ों के साथ प्राकृतिक प्रदूषण के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए प्राकृतिक संतुलन को बचाने के लिए सभी को साथ आने और मजबूत पहल करने की अपील की। पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में आमजन की भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए, डॉ. राजेश्वर सिंह ने रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों से तालाबों और झीलों को संरक्षित करने के लिए उन्हें गोद लेने और वृक्षारोपण अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया।
जल प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए डॉ. सिंह ने लिखा कि जल प्रदूषण गंभीर चिंता का विषय है और दुनिया के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में से 63 शहर भारत में स्थित हैं, जिनमें देश की राजधानी नई दिल्ली भी शामिल है। जिसके कारण धरती के ऊपरी हिस्से में स्थित 70 प्रतिशत जल किसी भी रूप में उपयोग योग्य नहीं रह गया है। 2030 तक भारत के 21 प्रमुख शहरों को भूजल की कमी का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए देश में स्थायी जल प्रबंधन के लिए रणनीति बनाने की तत्काल आवश्यकता है। सरोजनीनगर विधायक ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर चिंता व्यक्त करते हुए लिखा कि शहरों में ठोस अपशिष्ट उत्पादन बढ़ रहा है, जो वर्तमान में प्रतिवर्ष 277 मिलियन टन तक पहुंच गया है। इसी तरह, प्लास्टिक कचरा एक बड़ा ख़तरा है, प्रतिदिन नदियों में 25,000 टन प्लास्टिक कचरा बहाया जा रहा है, जिसने पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती प्रस्तुत की है। डॉ. राजेश्वर सिंह ने इन तमाम चुनौतियों के बाद भी सकारात्मक बदलाव को लेकर आशान्वित हैं, उन्होंने सरकार की नीतियों पर भरोसा व्यक्त करते हुए आगे लिखा कि सरकार की पहल, जैसे सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध और 100 शहरों में अपशिष्ट प्रबंधन को स्मार्ट सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रणालियों में परिवर्तित करना, पर्यावरण संबंधित चुनौतियों सामना करने की दिशा में सराहनीय पहल हैं।

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